विकसित देशों की तरह अब भारत में भी अंडरवॉटर टनल बनाने की तैयारी चल रही है. जिसकी मदद से मेट्रो ट्रेन नदी के अंदर भी चल सकेगी.
लोगों की जिंदगी में अब मेट्रो जरूरत बन चुकी है. ट्रैफिक से बचने और जल्दी पहुंचने का आसान माध्यम. भारत के कुछ बड़े शहर में मेट्रो आ चुकी है. जहां मेट्रो बीच शहर में चलती है वहीं विदेशों में मेट्रो कहीं आगे है. वो शहर के साथ-साथ पानी के अंदर भी चलती है. विकसित देशों की तहर अब भारत में भी अंडरवॉटर टनल बनाने की तैयारी चल रही है. जिसकी मदद से मेट्रो ट्रेन नदी के अंदर भी चल सकेगी.
बता दें कि ऐसा कोलकाता में किया जा रहा है, जहां पर हुगली नदी के अंदर ट्रेन चलाने की तैयारी की जा रही है. अलगे हफ्ते तक टनल बनकर तैयार हो जाएगी. हुगली नदी के नीचे सुरंग बनाने का काम अगले हफ्ते पूरा हो जाएगा. ये देश की अपनी तरह की पहली अंडर रिवर परियोजना होगी.
13 मीटर नीचे चलेगी मेट्रो
इस टनल के जरिए हावड़ा और कोलकाता के बीच मेट्रो कनेक्टिविटी शुरू होगी. कोलकाता में 16.6 किलोमीटर लंबे ईस्ट-वेस्ट मेट्रो प्रॉजेक्ट के लिए नदी के नीचे बना यह टनल बहुत अहम है. 520 मीटर लंबे दोहरे टनल को नदी की सतह के 30 मीटर नीचे बनाया गया है.
हावड़ा और महाकरन मेट्रो स्टेशन के यात्री 1 मिनट के लिए नदी के नीचे से गुजरेंगे. टनल में मेट्रो की स्पीड 80 किमी प्रति घंटा होगी. इस रूट पर मेट्रो 10.6 किलोमीटर का सफर टनल के जरिए करेगी, जिसमें नदी के नीचे बना 520 मीटर का टनल भी शामिल है.
क्या होगा फायदा
इस प्रोजेक्ट की मदद से हुगली नदी के पश्चिम में स्थित मेट्रो स्टेशन नदी के पूर्व में स्थित मेट्रो स्टेशनों के साथ जोड़े जाएंगे. जिससे समय की काफी बचत होगी. रोजाना इन स्टेशनों के बीच हजारों की तादाद में लोग सफर करते हैं.
अंडरवॉटर टनल बन जाने के बाद यात्रियों के काफी समय की बचत होगी. इस प्रोजेक्ट के लिए जापान बैंक ऑफ इंटरनेशनल कॉपरेशन ने पश्चिम बंगाल सरकार को 5000 करोड़ की वित्तीय मदद दी है. वहीं इस प्रोजेक्ट के साल 2018 में पूरा हो जाने की उम्मीद है.
इस टनल में आपातकालीन सेवा के लिए वैकल्पिक रास्ता भी बनाया गया है. हुगली नदी के अलावा मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन रेल कॉरिडोर पर भी समुद्र के नीचे 7 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जानी है. कुल मिलाकर अब भारत में भी लोग पानी के नीचे सफर कर सकते हैं.
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