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Thursday, September 8, 2016

बरमूडा त्रिकोण का रहस्‍य (Barmuda triangle mystery) क्‍या है?

September 08, 2016 0
बरमूडा त्रिकोण का रहस्‍य (Barmuda triangle mystery) क्‍या है?
Jeetendra Gaur
संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका के दक्षिण पूर्वी अटलांटिक महासागर के अक्षांश 25 डिग्री से 45 डिग्री उत्‍तर तथा देशांतर 55 से 85 डिग्री के बीच फैले 39,00,000 वर्ग किमी0 के बीच फैली जगह, जोकि एक का‍ल्‍पनिक त्रिकोण जैसी दिखती है, बरमूडा त्रिकोड़  अथवा बरमूडा त्रिभुज के नाम से जानी जाती है। इस त्रिकोण के तीन कोने बरमूडा, मियामी तथा सेन जआनार, पुतौरिका को स्‍पर्श करते हैं। वर्ष 1854 से इस क्षेत्र में कुछ ऐसी घटनाऍं/दुर्घटनाऍं घटित होती रही हैं कि इसे 'मौत के त्रिकोण' के नाम से जाना जाता है।
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बरमूडा त्रिकोण पहली बार विश्‍व स्‍तर पर उस समय चर्चा में आया, जब 1964 में आरगोसी नामक पत्रिका में इसपर लेख प्रकाशित हुआ। इस लेख को विसेंट एच गोडिस ने लिखा था। इसके बाद से लगातार सम्‍पूर्ण विश्‍व में इसपर इतना कुछ लिखा गया कि 1973 में एनसाइक्‍लोपीडिया ब्रिटानिका में भी इसे जगह मिल गयी।

बरमूडा त्रिकोण की सबसे विख्‍यात दुर्घटना 5 सितम्‍बर 1945 में हुई, जिसमें पॉंच तारपीडो यान नष्‍ट हो गये थे। उन उड़ानों का नेतृत्‍व कर रहे चालक ने दुर्घटना होने के पहले अपना संदेशदेते हुए कहा था- 'हम नहीं जानते कि पश्चिम किस दिशा में है। सब कुछ गलत हो गया है। हमें कोई भी दिशा समझ में नहीं आ रही है। हमें अपने अड्डज्ञे से 225 मील उत्‍तर पूर्व में होना चाहिए, लेकिन ऐसा लगता है कि   ' और उसके बाद आवाज आनी बंद हो गयी। उन यानों का पता लगाने के लिए तुरंत ही मैरिनर फ्लाइंग बोट भेजी गयी थी, जिसमें 13 लाग सवार थे। लेकिन वह बोट भी कहॉं गयी, इसका भी पता नहीं चला।

इस तरह की तमाम घटनाऍं उस क्षेत्र में होने का दावा समय समय पर किया जाता रहा है। लेकिन यह सब किन कारणों से हो रहा है, यह कोई भी बताने में अस्‍मर्थ रहा है। इस सम्‍बंध में चार्ल्‍स बर्लिट्ज ने 1974 में अपनी एक पुस्‍तक के द्वारा इस रहस्‍य की पर्तों को खोजने का दावा किया था। उसने अपनी पुस्‍तक 'दा बरमूडा ट्राइएंगिल मिस्‍ट्री साल्‍व्‍ड' में लिखा था कि यह घटना जैसी बताई जाती है, वैसी है नही। बॉबरों के पायलट अनुभवी नहीं थे। चार्ल्‍स के अनुसार वे सभी चालक उस क्षेत्र से पूरी तरह से अनभिज्ञ थे।और सम्‍भवत: उनके दिशा सूचक यंत्र में खराबी होने के कारण खराब मौसम में एक दूसरे से टकरा कर नष्‍ट हो गये।

बहरहाल समय-समय पर इस तरह के ताम दावे इस त्रिकोण के रहस्‍य को सुलझाने के किए जाते रहे हैं। कुछ रसायन शास्त्रियों क मत है कि उस क्षेत्र में 'मीथेन हाइड्रेट' नामक रसायन इन दुर्घटनाओं का कारण है। समुद्र में बनने वाला यह हाइड्राइट जब अचानक ही फटता है, तो अपने आसपास के सभी जहाजों को चपेट में ले सकता है। यदि इसका क्षेत्रफल काफी बड़ा हो, तो यह बड़े से बडे जहाज को डुबो भी सकता है। वैज्ञानिकों का मत है कि हाइड्राइट के विस्‍फोट के कारण डूबा हुआ जहाज जब समुद्र की अतल गहराई में समा जाता है, तो वहॉं पर बनने वाले हाइड्राइट की तलछट के नीचे दबकर गायब हो जाता है। यही कारण है कि इस तरह से गायब हुए जहाजों का बाद में कोई पता-निशां नहीं मिलता।


इस क्षेत्र में होने वाले वायुयानों की दुर्घटना के सम्‍बंध में वैज्ञानिकों का मत है कि इसी प्रकार जब मीथेन बड़ी मात्रा में वायुमण्‍डल में फैलती है, तो उसके क्षेत्र में आने वाले यान का मीथेन की सांद्रता के कारण इंजन में ऑक्‍सीजन का अभाव हो जाने सेवह बंद हो जाता है। ऐसी दशा में विमान पर चालक का नियंत्रण समाप्‍त हो जाता है और वह समुद्र के पेट में समा जाता है। अमेरिकी भौ‍गोलिक सवेक्षण के अनुसार बरमूडा की समुद्र तलहटी में मीथेन का अकूत भण्‍डार भरा हुआ है। यही वजह हैकि वहॉं पर जब-तब इस तरह की दुर्घटनाऍं होतीरहती हैं।

बहरहाल इस तर्क से भी सभी वैज्ञानिक सहमत नहीं है। यही कारण है कि बरमूडा त्रिकोण अभी भी एक अनसुलझा रहस्‍य ही बना हुआ है। इस रहस्‍य से कभी पूरी तरह से पर्दा हटेगा, यह कहना मुश्किल है।

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