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Monday, November 7, 2016

रानी पदमिनी की कहानी

November 07, 2016 0
Jeetendra Gaur

 रानी पदमिनी के पिता का नाम गंधर्वसेन और माता का नाम चंपावती था | Rani Padmini  रानी पद्मिनी के पिता गंधर्वसेन सिंहल प्रान्त के राजा थे |बचपन में पदमिनी के पास “हीरामणी ” नाम का बोलता तोता हुआ करता था जिससे साथ उसमे अपना अधिकतर समय बिताया था | रानी पदमिनी बचपन से ही बहुत सुंदर थी और बड़ी होने पर उसके पिता ने उसका स्वयंवर आयोजित किया | इस स्वयंवर में उसने सभी हिन्दू राजाओ और राजपूतो को बुलाया | एक छोटे प्रदेश का राजा मलखान सिंह भी उस स्वयंवर में आया था | राजा रावल रतन सिंह भी पहले से ही अपनी एक पत्नी नागमती होने के बावजूद स्वयंवर में गया था | प्राचीन समय में राजा एक से अधिक विवाह करते थे ताकि वंश को अधिक उत्तराधिकारी मिले | राजा रावल रतन सिंह ने मलखान सिंह को स्वयंमर में हराकर पदमिनी से विवाह कर लिया | विवाह के बाद वो अपनी दुसरी पत्नी पदमिनी के साथ वापस चित्तोड़ लौट आया

|Padmini Palace12वी और 13वी सदी में दिल्ली के सिंहासन पर दिल्ली सल्तनत का राज था | सुल्तान ने अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए कई बार मेवाड़ पर आक्रमण किया | इन आक्रमणों में से एक आक्रमण अलाउदीन खिलजी ने सुंदर रानी पदमिनी को पाने के लिए किया था | ये कहानी अलाउदीन के इतिहासकारो ने किताबो में लिखी थी ताकि वो राजपूत प्रदेशो पर आक्रमण को सिद्ध कर सके |कुछ इतिहासकार इस कहानी को गलत बताते है क्योंकि ये कहानी मुस्लिम सूत्रों ने राजपूत शौर्य को उत्तेजित करने के लिए लिखी गयी थी | आइये इसकी पुरी कहानी आपको बताते है |Rani Padmini and Rawal Ratan singhउस समय चित्तोड़ पर राजपूत राजा रावल रतन सिंह का राज था | एक अच्छे शाषक और पति होने के अलावा रतन सिंह कला के संरक्षक भी थे |उनके ददरबार में कई प्रतिभाशाली लोग थे जिनमे से राघव चेतन संगीतकार भी एक था | राघव चेतन के बारे में लोगो को ये पता नही था कि वो एक जादूगर भी है | वो अपनी इस बुरी प्रतिभा का उपयोग दुश्मन को मार गिराने में उपयोग करता था | एक दिन राघव चेतनका बुरी आत्माओ को बुलाने का कृत्य रंगे हाथो पकड़ा जाता है |Ratan singh and Raghav Chetanइस बात का पता चलते ही रावल रतन सिंह ने उग्र होकर उसका मुह काला करवाकर और गधे पर बिठाकर अपने राज्य से निर्वासित कर दिया| रतन सिंह की इस कठोर सजा के कारण राघव चेतन उसका दुश्मन बन गया | अपने अपमान से नाराज होकर राघव चेतन दिल्ली चला गया जहा पर वो दिल्ली के सुल्तान अलाउदीन खिलजी को चित्तोड़ पर आक्रमण करने के लिए उकसाने का लक्ष्य लेकर गया |दिल्ली पहुचने पर राघव चेतन दिल्ली के पास एक जंगल में रुक गया जहा पर सुल्तान अक्सर शिकार के लिया आया करते थे |एक दिन जब उसको पता चला कि की सुल्तान का शिकार दल जंगल में प्रवेश कर रहा है तो राघव चेतन ने अपनी बांसुरी से मधुर स्वर निकालना शुरु कर दिया |Raghav chetan and Alaaudin Khiljiजब राघव चेतन की बांसुरी के मधुर स्वर सुल्तान के शिकार दल तक पहुची तो सभी इस विचार में पड़ गये कि इस घने जंगल में इतनी मधुर बांसुरी कौन बजा सकता है | सुल्तान ने अपने सैनिको को बांसुरी वादक को ढूंड कर लाने को कहा | जब राघव चेतन को उसके सैनिको ने अलाउदीन खिलजी के समक्ष प्रस्तुत किया तो सुल्तान ने उसकी प्रशंशा करते हुए उसे अपने दरबार में आने को कहा | चालाक राघव चेतन ने उसी समय राजा से पूछा कि “आप मुझे जैसे साधारण संगीतकार को क्यों बुलाना चाहते है जबकि आपके पास कई सुंदर वस्तुए है ” | राघव चेतन की बात ना समझते हुए खिलजी ने साफ़ साफ़ बात बताने को कहा | राघव चेतन ने सुल्तान को Rani Padmini  रानी पदमिनी की सुन्दरता का बखान किया जिसे सुनकर खिलजी की वासना जाग उठी |अपनी राजधानी पहुचने के तुरंत बात उसने अपनी सेना को चित्तोड़ पर आक्रमण करने को कहा क्योंकि उसका सपना उस सुन्दरी को अपने हरम में रखना था |Chittor Fortबैचैनी से चित्तोड़ पहुचने के बाद अलाउदीन को चित्तोड़ का किला भारी रक्षण में दिखा | उस प्रसिद्द सुन्दरी की एक झलक पाने के लिए सुल्तान बेताब हो गया और उसने राजा रतन सिंह को ये कहकर भेजा कि वो Rani Padmini  रानी पदमिनी को अपनी बहन समान मानता है और उससे मिलना चाहता है | सुल्तान की बात सुनते ही रतन सिंह ने उसके रोष से बचने और अपना राज्य बचाने के लिए उसकी बात से सहमत हो गया | रानी पदमिनी अलाउदीन को कांच में अपना चेहरा दिखाने के लिए राजी हो गयी |






 जब अलाउदीन को ये खबर पता चली कि रानी पदमिनी उससे मिलने को तैयार हो गयी है वो अपने चुनिन्दा योद्धाओ के साथ सावधानी से किले में प्रवेश कर गया |Rani Padmini and Alauddin KhiljiRani Padmini  रानी पदमिनी के सुंदर चेहरे को कांच के प्रतिबिम्ब में जब अलाउदीन खिलजी ने देखा तो उसने सोच लिया कि रानी पदमिनी को अपनी बनाकर रहेगा |वापस अपने शिविर में लौटते वक़्त अलाउदीन कुछ समय के लिए रतन सिंह के साथ चल रहा था | खिलजी ने मौका देखकर रतन सिंह को बंदी बना लिया और पदमिनी की मांग करने लगा | चौहान राजपूत सेनापति गोरा और बादल ने सुल्तान को हराने के लिए एक चाल चलते हुए खिलजी को संदेसा भेजा कि अगली सुबह पदमिनी को सुल्तान को सौप दिया जाएगा |Sainik in Palkiअगले दिन सुबह भोर होते ही 150 पालकिया किले से खिलजी के शिविर की तरफ रवाना की | 

पालकिया वहा रुक गयी जहा पर रतन सिंह को बंदी बना रखा था |पालकियो को देखकर रतन सिंह ने सोचा, कि ये पालकिया किले से आयी है और उनके साथ रानी भी यहाँ आयी होगी ,वो अपने आप को बहुत अपमानित समझने लगा |उन पालकियो में ना ही उनकी रानी और ना ही दासिया थी और अचानक से उसमे से पूरी तरह से सशस्त्र सैनिक निकले और रतन सिंह को छुड़ा दिया और खिलजी के अस्तबल से घोड़े चुराकर तेजी से घोड़ो पर पर किले की ओर भाग गये | गोरा इस मुठभेड़ में बहादुरी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गये जबकि बादल , रतन सिंह को सुरक्षित किले में पहुचा दिया |Gora and Badal fight Khiljiजब सुल्तान को पता चला कि उसके योजना नाकाम हो गयी , सुल्तान ने गुस्से में आकर अपनी सेना को चित्तोड़ पर आक्रमण करने का आदेश दिया | सुल्तान के सेना ने किले में प्रवेश करने की कड़ी कोशिश की लेकिन नाकाम रहा |अब खिलजी ने किले की घेराबंदी करने का निश्चय किया | ये घेराबंदी इतनी कड़ी थी कि किले में खाद्य आपूर्ति धीरे धीरे समाप्त हो गयी | अंत में रतन सिंह ने द्वार खोलने का आदेश दिया और उसके सैनिको से लड़ते हुए रतन सिंह वीरगति को प्राप्त हो गया |
 ये सुचना सुनकर Rani Padmini  पद्मिनी ने सोचा कि अब सुल्तान की सेना चित्तोड़ के सभी पुरुषो को मार देगी | अब चित्तोड़ की औरतो के पास दो विकल्प थे या तो वो जौहर के लिए प्रतिबद्ध हो या विजयी सेना के समक्ष अपना निरादर सहे |Jauhar Rani Padmini in Chittorgarhसभी महिलाओ का पक्ष जौहर की तरह था | एक विशाल चिता जलाई गयी और रानी पदमिनी के बाद चित्तोड़ की सारी औरते उसमे कूद गयी और इस प्रकार दुश्मन बाहर खड़े देखते रह गये | अपनी महिलाओ की मौत पर चित्तोड़ के पुरुष के पास जीवन में कुछ नही बचा था | चित्तोड़ के सभी पुरुषो ने साका प्रदर्शन करने का प्रण लिया जिसमे प्रत्येक सैनिक केसरी वस्त्र और पगड़ी पहनकर दुश्मन सेना से तब तक लड़े जब तक कि वो सभी खत्म नही हो गये | विजयी सेना ने जब किले में प्रवेश किया तो उनको राख और जली हुई हड्डियों के साथ सामना हुआ |जिन महिलाओ ने जौहर किया उनकी याद आज भी लोकगीतों में जीवित है जिसमे उनके गौरवान्वित कार्य का बखान किया जाता है |

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