Jeetendra Gaur
सजा देने के 7 क्रूर तरीके, जिन्हें जानकार कांप उठेगी रूह
आज के समय में अपराधी को जेल या फांसी की सजा सुनाई जाती है। कुछ देशों में जहरीले इंजेक्शंस देने का नियम है। अगर हम पुराने समय में सजा देने के तरीकों की बात करें, तो उस दौर में क्रूरता की सारी हदें पार कर दी जाती थी। कहीं लोगों को जिंदा क्रूस पर चढ़ा दिया जाता था तो कहीं जीते-जी लोगों की चमड़ी उधेड़ दी जाती थी। आज हम आपको बताने जा रहे हैं उस समय सजा देने के 7 क्रूर और भयानक तरीकों के बारे में। जिंदा इंसान की बॉडी में चूहे कर देते थे छेद...
मध्यकाल में सजा देने के लिए सबसे क्रूर तरीकों में शामिल था 'रैट टार्चर'। इसमें इंसान को रस्सी से बांधकर लिटा दिया जाता था। उसके बॉडी पर चूहों से भरा केज रख दिया जाता था। केज की दूसरी तरफ कुछ गर्म चीजें रखी जाती थी। गर्मी से बचने के लिए चूहा इंसान की बॉडी में बिल बनाना शुरू करता था। इसमें काफी देर तक इंसान होश में दर्द से छटपटाता रहता था।
जिन्दा क्रूस पर चढ़ाना
कुछ देशों में आज भी सजा देने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें पीड़ित को लकड़ी के तख्ते पर कील के सहारे मारने तक लटकाकर रखा जाता था।
बॉडी में घुसाई जाती थी गर्म सलाखें
मध्यकाल में महिलाओं को सजा देने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इस तरीके में गर्म रॉड को पीड़ित के बॉडी में घुसाया जाता था। कई बार चमड़े के साथ मांस भी रॉड के साथ बाहर निकल जाता था।
रस्सी से बांधकर जंगली जानवरों के बीच देते थे छोड़
ये तरीका सजा देने के लिए काफी यूज किया जाता था। इसमें पीड़ित के हाथ पेर बांधकर उसे जंगली जानवरों के बीच में छोड़ देते थे। जिससे पीड़ित अपना बचाव नहीं कर पाता था। और जानवर उसे नोच-नोचकर खा जाते थे।
सीमेंट के जूते पहनाकर पानी में देते थे फेंक
अमेरिकन माफिया ने सजा देने के इस तरीके को शुरू किया था। इसमें दुश्मनों या जासूसों के पैरों को जूते की शेप वाले खांचे में रखा जाता था। फिर उस खांचे को गीले सीमेंट से भरकर छोड़ दिया जाता था। सूखने पर सीमेंट भारी हो जाता था। तब अपराधी को नदी या गहरे पानी में फेंक दिया जाता था।
घूमते पहियों में अटकाकर तोड़ दी जाती थी हड्डियां
सजा देने के इस तरीके को कैथरीन व्हील के नाम से जाना जाता था। इसमें इंसान को मरने में दो से तीन दिन का समय लगता था। पीड़ित को लकड़ी के पहियों में बांधकर घुमाया जाता था, जिससे उसकी हड्डियां टूट जाती थी। फिर पीड़ित को उसी हाल में ऊंचे टीले पर बांध दिया जाता था। ताकि चील-कौवे उसका मांस खा सके।
गले में लोहे के कांटेदार बेल्ट पहनाना
सजा देने के इस तरीके में पीड़ित के गले में एक तरह का यंत्र पहनाया जाता था। इसका एक सीरा छाती में और दूसरा गर्दन में टीका होता था। अगर पीड़ित को नींद आ जाए और उसने गर्दन झुका दी, तो दोनों किनारे उसके बॉडी में छेद कर देते थे।
सजा देने के 7 क्रूर तरीके, जिन्हें जानकार कांप उठेगी रूह
आज के समय में अपराधी को जेल या फांसी की सजा सुनाई जाती है। कुछ देशों में जहरीले इंजेक्शंस देने का नियम है। अगर हम पुराने समय में सजा देने के तरीकों की बात करें, तो उस दौर में क्रूरता की सारी हदें पार कर दी जाती थी। कहीं लोगों को जिंदा क्रूस पर चढ़ा दिया जाता था तो कहीं जीते-जी लोगों की चमड़ी उधेड़ दी जाती थी। आज हम आपको बताने जा रहे हैं उस समय सजा देने के 7 क्रूर और भयानक तरीकों के बारे में। जिंदा इंसान की बॉडी में चूहे कर देते थे छेद...
मध्यकाल में सजा देने के लिए सबसे क्रूर तरीकों में शामिल था 'रैट टार्चर'। इसमें इंसान को रस्सी से बांधकर लिटा दिया जाता था। उसके बॉडी पर चूहों से भरा केज रख दिया जाता था। केज की दूसरी तरफ कुछ गर्म चीजें रखी जाती थी। गर्मी से बचने के लिए चूहा इंसान की बॉडी में बिल बनाना शुरू करता था। इसमें काफी देर तक इंसान होश में दर्द से छटपटाता रहता था।
जिन्दा क्रूस पर चढ़ाना
कुछ देशों में आज भी सजा देने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें पीड़ित को लकड़ी के तख्ते पर कील के सहारे मारने तक लटकाकर रखा जाता था।
बॉडी में घुसाई जाती थी गर्म सलाखें
मध्यकाल में महिलाओं को सजा देने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इस तरीके में गर्म रॉड को पीड़ित के बॉडी में घुसाया जाता था। कई बार चमड़े के साथ मांस भी रॉड के साथ बाहर निकल जाता था।
रस्सी से बांधकर जंगली जानवरों के बीच देते थे छोड़
ये तरीका सजा देने के लिए काफी यूज किया जाता था। इसमें पीड़ित के हाथ पेर बांधकर उसे जंगली जानवरों के बीच में छोड़ देते थे। जिससे पीड़ित अपना बचाव नहीं कर पाता था। और जानवर उसे नोच-नोचकर खा जाते थे।
सीमेंट के जूते पहनाकर पानी में देते थे फेंक
अमेरिकन माफिया ने सजा देने के इस तरीके को शुरू किया था। इसमें दुश्मनों या जासूसों के पैरों को जूते की शेप वाले खांचे में रखा जाता था। फिर उस खांचे को गीले सीमेंट से भरकर छोड़ दिया जाता था। सूखने पर सीमेंट भारी हो जाता था। तब अपराधी को नदी या गहरे पानी में फेंक दिया जाता था।
घूमते पहियों में अटकाकर तोड़ दी जाती थी हड्डियां
सजा देने के इस तरीके को कैथरीन व्हील के नाम से जाना जाता था। इसमें इंसान को मरने में दो से तीन दिन का समय लगता था। पीड़ित को लकड़ी के पहियों में बांधकर घुमाया जाता था, जिससे उसकी हड्डियां टूट जाती थी। फिर पीड़ित को उसी हाल में ऊंचे टीले पर बांध दिया जाता था। ताकि चील-कौवे उसका मांस खा सके।
गले में लोहे के कांटेदार बेल्ट पहनाना
सजा देने के इस तरीके में पीड़ित के गले में एक तरह का यंत्र पहनाया जाता था। इसका एक सीरा छाती में और दूसरा गर्दन में टीका होता था। अगर पीड़ित को नींद आ जाए और उसने गर्दन झुका दी, तो दोनों किनारे उसके बॉडी में छेद कर देते थे।