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Wednesday, November 23, 2016

इस किले में 5000 साल से भटक रहा है अश्वत्थामा

Jeetendra Gaur
हिन्दुस्तान में ही एक जगह है जहां के लोग हर रोज ये दावा करते हैं कि कोई जो पिछले 5000 साल से भटक रहा है।

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर स्थित असीरगढ़ किले में खुदाई में सुरंगनुमा इमारत के साक्ष्य मिले हैं। पुरातत्व विभाग का कहना है कि यह वह जेल है, जहां 1857 के क्रांतिकारियों को गुप्त रूप से बंदी बनाकर रखा गया था और बाद में उन्हें फांसी दी गई थी। भटिंडा से आए शहीदों के परिजनों ने नक्शे सहित पुरातत्व विभाग को इसकी जानकारी दी थी। फिलहाल खुदाई रोक दी गई है। पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों और अऩुमति के बाद ही आगे खुदाई होगी। अब इस खबर के लगने पर 1857 स्वतंत्रता संग्राम में रूचि रखने वाले पर्यटक इस जेल को देखने बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं।

यहां 5000 साल से भटक रहा है अश्वत्थामा

दरअसल, हिन्दुस्तान में ही एक जगह है जहां के लोग हर रोज ये दावा करते हैं कि कोई जो पिछले 5000 साल से भटक रहा है। कहते हैं बुरहानपुर के किनारे ऊंची पहाड़ी पर बना असीरगढ़ का किले में पिछले लगभग पांच हजार वर्षों से अश्वत्थामा भटक रहे हैं।ऐसा माना जाता है कि असीरगढ़ किले के शिवमंदिर में प्रतिदिन सबसे पहले पूजा करने आते हैं। शिवलिंग पर प्रतिदिन सुबह ताजा फूल और गुलाल चढ़ा मिलना अपने आप में एक रहस्य है।



अश्वत्थामा को मिला युगों-युगों तक भटकते रहने का श्राप

पौराणिक कहानियों के मुताबिक पिता द्रोणाचार्य की मृत्यु का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा ने अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया था। लेकिन तब भगवान श्रीकृष्ण ने परीक्षित की रक्षा की, और अश्वत्थामा को सजा देने के लिए उनके माथे से मणि निकाल ली। और अश्वत्थामा को युगों-युगों तक भटकते रहने का श्राप दिया। वैसे देश में कई ऐसी जगहें हैं जहां अश्वत्थामा की मौजूदगी का दावा किया जाता है। लेकिन कई इतिहासकार मानते हैं, कि अश्वत्थामा का असली ठिकाना असीरगढ़ का यही किला है। 

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