Jeetendra Gaur
रिलायंस जियो ने बाज़ार में खलबली मचा दी है.
अगले हफ़्ते से लोगों को ये सर्विस तीन महीने के लिए मुफ़्त मिलेगी.
अगले तीन महीने के लिए फ्री कॉल और फ्री डेटा.
साथ में जियो का सिम और उसके कई सर्विस भी फ्री.
समय कितना बदल गया है उसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1990 के दशक में जब कई कंपनियों ने अपनी मोबाइल सर्विस शुरू की थी तब सिम कार्ड के लिए 1260 रुपये अलग से देने पड़ते थे.
अब वो सिम कार्ड फ्री तो मिल ही रहा है उसके साथ कई सर्विस भी फ्री हैं.
लेकिन जियो के लॉन्च के बाद मोबाइल फ़ोन और मोबाइल इंटरनेट के बाज़ार के कई पुराने नियम बदल सकते हैं.
अभी तक मोबाइल फ़ोन पर कॉल करने के लिए लोग सबसे सस्ते प्लान ढूंढते थे.
रिलायंस जियो के लॉन्च के बाद कॉल रेट देखने की ज़रुरत ही नहीं होगी.
स्मार्टफोन पर डेटा का इस्तेमाल भारत के बाज़ार में बहुत महंगा था और सभी मोबाइल कंपनियों के लिए प्रीपेड कार्ड पर महीने के एक जीबी डेटा के लिए क़रीब 250 रुपये देने पड़ते थे.
जियो इसके लिए सिर्फ़ 50 रुपये लेने की बात कर रहा है यानी पाँच गुना सस्ता.
जियो लोगों से सिर्फ़ डेटा के इस्तेमाल के लिए पैसे लेगा.
फिलहाल, तीन महीने तो डेटा भी फ्री हैं, जियो को उम्मीद है कि बहुत बड़ी तादाद में ग्राहक उसे मिलेंगे.
फिक्स्ड लाइन और मोबाइल ब्रॉडबैंड के डेटा के इस्तेमाल की सीमा होती है.
एयरटेल फिक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड पर 16 एमबी स्पीड वाली सर्विस लेने पर डेटा की सीमा को पिछले महीने के 25 जीबी से बढ़ाकर 45 जीबी कर दिया गया है.
रिलायंस जियो पर मोबाइल डेटा की सीमा, इसके मुक़ाबले 75 जीबी है.
हो सकता है फिक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड इस्तेमाल करने वाले ग्राहक भी मोबाइल ब्रॉडबैंड इस्तेमाल करने की सोचने लगें.
कुछ इक्का-दुक्का मौक़ों को छोड़ कर, भारत में मोबाइल कंपनियों ने हैंडसेट के साथ नई स्कीम नहीं शुरू की है.
जियो ने इसे बदलने की कोशिश की है और कई सस्ते 4जी हैंडसेट ख़रीदने का विकल्प दिया है.
16 कंपनियों के हैंडसेट में से आप अपना मनपसंद मोबाइल चुन सकते हैं.
देश में 30 करोड़ से ज़्यादा लोग मोबाइल इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं, उसके बावजूद ये सेवा बहुत बड़ी आबादी की पहुंच से बाहर थी.
डिजिटल इंडिया के सफल होने के लिए मोबाइल इंटरनेट सर्विस की क़ीमतों को कम होना ज़रूरी है जो जियो लॉन्च के बाद, अब लगता है, ज़रूर होगा.
देश में 10 करोड़ या उससे ज़्यादा मोबाइल सब्सक्राइबर वाली पांच कंपनियां हैं- एयरटेल, वोडाफोन, रिलायंस कम्युनिकेशन (अनिल अंबानी), बीएसएनएल और आइडिया.
बीएसएनएल को छोड़कर, सभी के लिए मोबाइल इंटरनेट की दरें लगभग एक जैसी ही रही हैं. कम्पटीशन नहीं होने के कारण इन क़ीमतों का कम होना संभव नहीं था.
बाक़ी कंपनियों की कोशिश के बाद भी करोड़ों लोग तक मोबाइल इंटरनेट नहीं पहुंच सका था. जियो के आने से वो अब संभव होता दिख रहा है.
2008 में नयी कंपनियों को मोबाइल सर्विस के लिए लाइसेंस मिलने पर कुछ ऐसा ही हुआ था.
लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 122 टेलीकॉम लाइसेंस को रद्द कर दिया था जिसके कारण टेलीकॉम कंपनियों को थोड़ी राहत मिली थी.
टाटा डोकोमो के प्रति सेकंड बिलिंग प्लान से भी कंपनियों पर थोड़ा असर हुआ था.
लेकिन ये दूसरी बार हो रहा है जब मोबाइल सेवा में रिलायंस के आने से बाज़ार में कॉल करने की क़ीमतों में भरी गिरावट होगी.
2001 में रिलायंस कम्युनिकेशन ने अपनी सर्विस जब लॉन्च की थी तो उसके मानसून हंगामा स्कीम के कारण काफ़ी पसंद किया गया था.
इसमें 501 रुपये में लोगों के लिए जितने भी चाहें लंबी दूरी के कॉल करना संभव था.
लेकिन अंबानी भाइयों के बीच सभी कंपनियों के बंट जाने के बाद रिलायंस कम्युनिकेशन की कमान अनिल अंबानी के पास चली गयी थी.
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